तौज़ीहुल मसाएल

سایٹ دفتر حضرت آیة اللہ العظمی ناصر مکارم شیرازی

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कोई भी मुसलमान उसूले दीन में तक़लीद (दूसरे की बात का अनुसरण करना) नहीं कर सकता। लेकिन फ़ुरूए दीन में अगर मुजतहिद (यानि जो व्यक्ति ईश्वरीय आदेशों को तर्क से स्वंय हासिल कर सकता हो) तो अपने विश्वास के मुताबिक काम करे। और अगर मुजतहिद नही है तो उसे चाहिए कि दूसरे मुजतहिद की तक़लीद करे यानि उसके बताए हुए रास्ते पर चले।

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